ईरान-इज़राइल तनाव पर PM मोदी और ईरानी राष्ट्रपति के बीच बातचीत, भारत ने जताई चिंता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ईरान के राष्ट्रपति मासूद पेज़ेशकियान से फोन पर बातचीत की और ईरान-इज़राइल संघर्ष में आई हालिया बढ़त पर गहरी चिंता व्यक्त की। यह कॉल अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — नतांज़, इस्फहान और फोर्डो — पर हमले के कुछ ही घंटों बाद आया।

फोर्डो, जो पहाड़ी के नीचे स्थित एक गुप्त यूरेनियम संवर्धन संयंत्र है, उस पर 6 B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा हमला किया गया। वहीं टोमहॉक क्रूज मिसाइलों से इस्फहान और नतांज़ को निशाना बनाया गया। अमेरिका ने इसे “निवारक हमला” बताया, लेकिन इससे मध्य पूर्व में हालात और बिगड़ गए हैं।

📞 बातचीत का मुख्य बिंदु

  • कॉल करीब 45 मिनट चली।
  • ईरानी राष्ट्रपति ने भारत को “शांति और स्थिरता का मित्र” बताया।
  • पीएम मोदी ने संघर्ष कम करने, संवाद और कूटनीति को आगे का रास्ता बताया।
  • भारत की भूमिका को क्षेत्रीय शांति बहाल करने में “महत्वपूर्ण” बताया गया।

पीएम मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“ईरान के राष्ट्रपति मासूद पेज़ेशकियान से बात की। हालात पर गहन चर्चा की। हालिया तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और तत्काल डी-एस्केलेशन, संवाद व कूटनीति को ही रास्ता बताया।”

💥 अमेरिका और इज़राइल के हमले की पृष्ठभूमि

  • ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद इज़राइल ने भी पश्चिमी ईरान में सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की।
  • यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल पर हमले के साथ शुरू हुआ था, और तब से रेड सी के ज़रिए वाणिज्यिक शिपिंग भी प्रभावित हुई है।

📦 भारत पर प्रभाव: व्यापार और भू-राजनीति

  • भारत-ईरान व्यापार (2024-25):
    • निर्यात: $1.24 बिलियन
    • प्रमुख वस्तुएँ: बासमती चावल ($753.2M), केला, सोया मील, चना, चाय
    • आयात: $441.8 मिलियन
  • भारत-इज़राइल व्यापार:
    • निर्यात: $2.1 बिलियन
    • आयात: $1.6 बिलियन
  • रेड सी तनाव:
    • भारत के 80% यूरोपीय व्यापार और अधिकांश अमेरिकी व्यापार पर प्रभाव।
    • वैश्विक कंटेनर यातायात का 30% और विश्व व्यापार का 12% इसी मार्ग से होता है।
    • WTO के अनुसार, वैश्विक व्यापार में 0.2% संकुचन संभावित है।

ईरान-इज़राइल संघर्ष अब एक वैश्विक संकट की शक्ल ले चुका है, जिसमें अमेरिका की सीधी भागीदारी और रेड सी ट्रेड बाधा भारत जैसे देशों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाल रही है। भारत की मध्यस्थता और संतुलनकारी कूटनीति आने वाले समय में वैश्विक स्थिरता के लिए अहम साबित हो सकती है।

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