भारत की GDP 2025-26 (FY26) में 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना है। यह अनुमान बैंक ऑफ बड़ौदा की हालिया रिपोर्ट में लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, शहरी खपत में सुधार और सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि से विकास दर को सहारा मिलेगा। हालांकि, बढ़ते टैरिफ तनाव और व्यापारिक विवाद आर्थिक दृष्टिकोण के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।
पहली तिमाही में रिकॉर्ड वृद्धि
वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1FY26) में भारत का GDP 7.8% की तेज़ रफ्तार से बढ़ा, जो पिछले साल की समान अवधि में 6.5% था। यह वृद्धि मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के मजबूत प्रदर्शन और निजी खपत में इजाफे के चलते संभव हुई।
खपत और निवेश का योगदान
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले त्योहारी सीजन और शहरी खपत की वापसी से विकास को और बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, निजी निवेश भावना में सुधार भी एक सकारात्मक संकेत है। सरकारी पूंजीगत व्यय में पिछले तीन वर्षों में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि नए निवेश घोषणाओं में साल-दर-साल 3.3 गुना इजाफा देखने को मिला है।
RBI और विशेषज्ञों का नजरिया
यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6.5% वृद्धि दर वाले प्रक्षेपण के अनुरूप है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत लगातार दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। विशेषज्ञों ने कहा कि यदि खपत और निवेश की यह रफ्तार बरकरार रहती है तो भारत अपनी विकास दर के लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम रहेगा।
टैरिफ तनाव बना बड़ी चुनौती
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल और ज्वेलरी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, रोजगार की सुस्ती, कमजोर शहरी खपत और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता भी निजी निवेश को प्रभावित कर सकती है।