धर्मस्थल सामूहिक दफन केस: झूठी गवाही देने वाला शिकायतकर्ता SIT की गिरफ्त में

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धर्मस्थल सामूहिक दफन
धर्मस्थल सामूहिक दफन केस

मंगलुरु में धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले में बड़ा मोड़ आया है। मंदिर में बीते दो दशकों से कई हत्याओं और दफनाए जाने का आरोप लगाने वाले शिकायतकर्ता को विशेष जांच दल (SIT) ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि उसने बयान और दस्तावेज़ों में विरोधाभासी जानकारी दी थी। अदालत ने उसे 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

शिकायतकर्ता की पहचान उजागर

अब तक मास्क पहनकर पैनल के सामने पेश होने वाला यह व्यक्ति दरअसल धर्मस्थल मंजीनाथ स्वामी मंदिर में स्वच्छता कर्मी रह चुका सी. एन. चिनैया है। घंटों की पूछताछ के बाद उसे मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया और फिर अदालत में पेश किया गया।

जांच में झूठ के सबूत

सरकार और SIT पर लंबे समय से कार्रवाई का दबाव था, क्योंकि आरोपी द्वारा बताए गए 17 स्थानों में से केवल 2 जगहों पर ही मानव अवशेष मिले। वहीं, उसके पूर्व सहयोगियों के भी बयान विरोधाभासी निकले। इसी बीच, एक महिला सुजाता भट ने भी स्वीकार किया कि उसने 2003 में अपनी बेटी के गुमशुदा होने की झूठी शिकायत दर्ज कराई थी, जबकि उसकी कोई बेटी थी ही नहीं।

धर्माधिकारी की प्रतिक्रिया

धर्मस्थल धर्माधिकारी डी. वीरेन्द्र हेग्गड़े ने कहा कि यह सब “बड़े षड्यंत्र” का हिस्सा था, जिससे मंदिर और हिंदू धार्मिक संस्थानों की छवि खराब करने की कोशिश हुई। उन्होंने शिकायतकर्ता की गिरफ्तारी का स्वागत करते हुए कहा कि अब “सच सामने आने लगा है” और मंदिर नगर पर लगे बेबुनियाद आरोपों से भक्तों को राहत मिलेगी।

राजनीतिक बयानबाज़ी

मामले पर सियासत भी तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी और जांच राजनीति से ऊपर उठकर होगी। वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया कि इसमें विदेशी फंडिंग और धार्मिक रूपांतरण लॉबी का हाथ है। विपक्ष के नेताओं ने मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने की मांग की है।

यूट्यूबर पर कार्रवाई

इसी केस से जुड़े एक यूट्यूबर एम. डी. समीअर पर भी पुलिस ने केस दर्ज किया है। उनके वीडियो को भड़काऊ और झूठी जानकारी फैलाने वाला बताया गया। अदालत से मिली अग्रिम जमानत के बाद भी उन्हें SIT के सामने पेश होने का नोटिस जारी किया गया है।

आगे की राह

फिलहाल SIT जांच जारी रखे हुए है और यह देखने वाली बात होगी कि इस पूरे मामले के पीछे असली साज़िशकर्ता कौन हैं। अदालत और सरकार, दोनों का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सच्चाई सामने लाकर न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।

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