कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी का निधन: किसानों की आवाज़ और ‘डूडी भैया’ अब खामोश

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कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी का निधन किसानों की आवाज़ और 'डूडी भैया' अब खामोश
कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी का निधन किसानों की आवाज़ और 'डूडी भैया' अब खामोश

राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर लाल डूडी का शनिवार देर रात निधन हो गया। वे 62 साल के थे और पिछले दो साल से ब्रेन हेमरेज के बाद कोमा में चल रहे थे। बीकानेर के नोखा तहसील के बीरमसर गांव के मूल निवासी डूडी ने छात्र राजनीति से लेकर संसद और विधानसभा तक लंबा राजनीतिक सफर तय किया।

ब्रेन हेमरेज के बाद लंबी बीमारी

2023 में ब्रेन हेमरेज के बाद उनकी हालत बिगड़ गई थी। इलाज के लिए उन्हें जयपुर से एयर एम्बुलेंस के जरिए गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया था। इलाज के बाद भी स्वास्थ्य सुधर नहीं सका और वे कोमा में चले गए। बीकानेर लौटने के बाद से वे वहीं भर्ती थे। हाल ही में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनसे मुलाकात की थी।

किसानों और पिछड़ों की आवाज़

डूडी को ‘किसानों का मसीहा’ और ‘डूडी भैया’ के नाम से जाना जाता था। वे हमेशा किसानों, मजदूरों, दलितों और पिछड़े वर्गों की आवाज़ उठाते रहे। उनकी आक्रामक राजनीति ने उन्हें कांग्रेस के भीतर और बाहर एक अलग पहचान दी। 2004 में वे बीकानेर से सांसद बने और 2013 में नोखा से विधायक चुने गए। उसी कार्यकाल में वे राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।

राजनीति में उतार-चढ़ाव

डूडी ने दो बार बीकानेर जिला प्रमुख का पद संभाला और राजस्थान एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि 2018 में वे विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता बने रहे। पार्टी में उनकी सक्रियता और किसानों के मुद्दों पर सख्त रुख ने उन्हें हमेशा चर्चा में रखा।

नेताओं ने जताया शोक

डूडी के निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शोक जताते हुए कहा कि वे राजस्थान की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ थे। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने उन्हें ‘किसानों का मसीहा’ बताते हुए कहा कि उनका जाना कांग्रेस और किसान आंदोलन दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी उन्हें सामाजिक न्याय का योद्धा बताया।

अंतिम संस्कार आज

रामेश्वर डूडी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बीरमसर में रविवार सुबह होगा। उनके निधन की खबर मिलते ही हजारों समर्थक बीकानेर, नोखा और डूंगरगढ़ में इकट्ठा होने लगे। किसान संगठनों ने शोक सभा बुलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। परिवार में पत्नी, दो पुत्र और एक पुत्री हैं।

किसान समुदाय में गहरा असर

किसानों में उनके निधन की खबर से गहरी उदासी है। नोखा के एक किसान नेता ने कहा, “डूडी साहब हमारे दर्द को समझते थे। उनके बिना किसान आंदोलन कमजोर हो जाएगा।” जाट समाज और किसान वोट बैंक पर उनके निधन का बड़ा असर पड़ना तय है।

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