भारतीय‑अमेरिकी अरबपति और सिलिकॉन वैली के मशहूर वेंचर कैपिटलिस्ट विनोद खोसला ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि आने वाले 3-5 वर्षों में दुनिया की लगभग 80% नौकरियाँ AI संभाल सकती है।
AI का प्रभाव और आने वाला बदलाव
विनोद खोसला का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि कानूनी, वित्तीय, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और ग्राहक सेवा जैसी नौकरियों पर भी इसका सीधा असर होगा।
- दोहराव वाले काम सबसे पहले AI द्वारा संभाल लिए जाएंगे।
- कंपनियों के संचालन में मानवीय हस्तक्षेप घटेगा।
- कई पुराने बिजनेस मॉडल पूरी तरह बदल सकते हैं।
खोसला ने इसे मानव इतिहास का सबसे बड़ा कार्यस्थलीय परिवर्तन बताया।
कौन‑कौन सी नौकरियाँ होंगी सबसे ज्यादा प्रभावित?
- आईटी और बीपीओ सेक्टर – AI चैटबॉट और ऑटोमेशन मानव श्रमिकों की जरूरत कम कर देंगे।
- फाइनेंस और अकाउंटिंग – डाटा प्रोसेसिंग और रिपोर्टिंग AI तेज़ी से कर सकेगी।
- कस्टमर सपोर्ट – AI‑संचालित वर्चुअल असिस्टेंट अधिक प्रभावी साबित होंगे।
- मेडिकल डायग्नोसिस – बेसिक रिपोर्ट और एनालिसिस AI द्वारा संभाले जा सकेंगे।
शिक्षा और हेल्थकेयर होंगे सस्ते और सुलभ
विनोद खोसला ने कहा कि AI के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और हेल्थकेयर अब महंगे नहीं रहेंगे।
- AI टीचर्स छात्रों को व्यक्तिगत रूप से पढ़ा सकेंगे।
- AI मेडिकल असिस्टेंट्स डॉक्टरों की मदद करेंगे और इलाज की लागत कम होगी।
उनके अनुसार, आने वाले वर्षों में कई सेवाएँ लगभग मुफ्त हो सकती हैं, जो खासकर विकासशील देशों के लिए बड़ा बदलाव होगा।
करियर प्लानिंग के लिए उनकी सलाह
खोसला ने युवाओं को स्पेशलिस्ट की बजाय जनरलिस्ट बनने की सलाह दी है।
- केवल एक क्षेत्र की बजाय कई विषयों की समझ विकसित करें।
- तेज़ी से सीखने और नई तकनीक अपनाने की क्षमता सबसे महत्वपूर्ण होगी।
- क्रिएटिव और स्ट्रैटेजिक सोच ही आपको AI युग में सुरक्षित रखेगी।
उनका कहना है कि AI संकुचित और दोहराव वाले कार्य बेहतर तरीके से कर सकती है, इसलिए इंसानों को लचीलापन और नवाचार पर ध्यान देना चाहिए।
विनोद खोसला का यह बयान एक तरफ चिंता पैदा करता है, तो दूसरी तरफ नए अवसरों के दरवाजे भी खोलता है।