अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए अलास्का पहुंचे हैं। इस ऐतिहासिक मुलाकात को दुनिया “हाई-स्टेक्स समिट” कह रही है। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वे इस मुलाकात में यूक्रेन के लिए कोई डील कराने नहीं आए हैं, बल्कि पुतिन को बातचीत की मेज पर लाना उनका मुख्य उद्देश्य है।
ट्रंप का बयान: “अगर बैठक खराब रही तो तुरंत खत्म”
Air Force One में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा –
“अगर यह बैठक खराब साबित हुई, तो यह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगी। लेकिन अगर यह अच्छी रही, तो निकट भविष्य में शांति संभव है।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर रूस समझौते पर नहीं पहुंचा, तो उसे गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का बयान
उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने उम्मीद जताई कि ट्रंप रूस को आक्रमण रोकने के लिए राजी करेंगे। ज़ेलेंस्की ने कहा, “युद्ध खत्म करने का समय आ गया है। इसके लिए ज़रूरी कदम रूस को उठाने होंगे। हम अमेरिका से उम्मीद कर रहे हैं।”
उच्च-स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल
इस बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री मार्को रुबियो, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट, वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक और CIA निदेशक जॉन रैटक्लिफ समेत कई बड़े अधिकारी शामिल हैं।
बैठक का ऐतिहासिक महत्व
ट्रंप-पुतिन वार्ता अलास्का के एंकोरेज (Elmendorf Air Force Base) में हो रही है। खास बात यह है कि यह रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की पहली पश्चिमी यात्रा है। अलास्का वही जगह है जिसे अमेरिका ने 1867 में रूस से खरीदा था – और अब यही जगह दोनों देशों की ऐतिहासिक बैठक का गवाह बन रही है।
भारत का दृष्टिकोण
अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफ्री डी. सैक्स ने NDTV से कहा कि भारत को सावधान रहना चाहिए। उन्होंने चेताया कि अमेरिका अक्सर अन्य देशों का उपयोग करता है और भारत को US-चीन व्यापार युद्ध में किसी भी प्रकार से शामिल नहीं होना चाहिए।