79th Independence day: पूर्व प्रधानमंत्रियों के पहले भाषण और उनके ऐतिहासिक संदेश

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भारत 15 अगस्त, 2025 को अपना 79th independence day मनाने जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। यह उनका 12वां स्वतंत्रता दिवस संबोधन होगा। लेकिन इस मौके पर आइए जानते हैं कि जब मोदी जी से पहले अन्य प्रधानमंत्रियों ने अपना पहला Independence Day Speech दिया था, तब उनके संदेशों ने किस तरह देश की दिशा तय की।

नरेंद्र मोदी का पहला भाषण (15 अगस्त 2014)

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पहली बार स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने इस दिन को सिर्फ उत्सव नहीं बल्कि प्रेरणा का पर्व बताया। मोदी ने कहा था कि “यह राष्ट्रीय पर्व हमें संकल्प देता है कि हम अपने चरित्र को और परिष्कृत करें, राष्ट्र को समर्पित रहें और भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।”

डॉ. मनमोहन सिंह का पहला भाषण (15 अगस्त 2004)

डॉ. मनमोहन सिंह का पहला संबोधन 2004 में हुआ था। उन्होंने शासन की पारदर्शिता और राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता पर जोर दिया। उनका कहना था कि “जनता की शक्ति किसी भी सरकार की शक्ति से बड़ी है और जब दोनों मिलकर काम करते हैं, तभी राष्ट्र महान बनता है।”

अटल बिहारी वाजपेयी का पहला भाषण (15 अगस्त 1998)

1998 में प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में पोखरण परमाणु परीक्षणों का उल्लेख किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि “ये परीक्षण युद्ध के लिए नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए किए गए हैं।” वाजपेयी ने पाकिस्तान और चीन के साथ मुद्दों को बातचीत से सुलझाने की भी बात कही।

इंदर कुमार गुजराल का पहला भाषण (15 अगस्त 1997)

इंदर कुमार गुजराल का पहला और अंतिम I-Day संबोधन 1997 में हुआ था, जब भारत अपनी आज़ादी के 50 वर्ष पूरे कर रहा था। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘सत्याग्रह’ का आह्वान किया और राजनीति में महिलाओं को बराबर अधिकार देने पर जोर दिया। गुजराल ने कहा कि “महिलाओं को राजनीति में पूर्ण अधिकार मिलने चाहिए ताकि सच्चे लोकतंत्र की स्थापना हो सके।”

भारत का हर प्रधानमंत्री जब पहली बार लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करता है, तो वह न सिर्फ अपने कार्यकाल की दिशा तय करता है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनता है। आज जब हम 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, तो इन ऐतिहासिक भाषणों को याद करना हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूत करता है।

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