Ganga Expressway प्रदेश को पूरब से पश्चिम तक जोड़ते हुए 12 जिलों के 518 गांवों से होकर गुजरेगा। इसके बन जाने के बाद मेरठ से हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज तक की दूरी को महज कुछ घंटों में ही तय की जा सकेगी।
वर्तमान में इस पर मिट्टी डालने का कार्य चल रहा है। सभी क्षेत्रों में बिना मानक के मिट्टी खोदने के मामले सामने आए थे। कई इलाके में किसानों ने इसका विरोध किया था। किसानों का कहना था कि उन्हें करीब छह फुट गहराई तक मिट्टी उठाने को कहा गया है, लेकिन 15 से 20 फुट गहराई तक मिट्टी खोदी जा रही है। इसकी शिकायत एसडीएम से लेकर आला अफसरों तक की गई , किंतु जिम्मेदार आंख बंद किए है।
Ganga Expressway के लिए मानकों के विपरीत की गई मिट्टी खोदाई
Ganga Expressway के लिए मानकों के विपरीत की गई मिट्टी खोदाई के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। अब बरसात के मौसम में किसानों को और ज्यादा दिक्कत होगी। जिन किसानों के खेतों में या उनके नजदीक खेतों में मिट्टी खोदी गई, अब वहां मौत के कुएं बन गए हैं। हर समय किसानों पर खतरा मंडरा रहा है। उनके परिवार और खासकर बच्चों को यह गड्ढे जानलेवा साबित हो रहे हैं।
क्षेत्र के हटवा, शहजादपुर, लक्ष्मीगंज, मिर्जापुर ऐहारी, डिहवा सरगपुर, उमरन समेत दर्जनों गांवों में अवैध रूप से मानक से अधिक खोदाई करके गांवों के पास मौत के कुएं तैयार कर दिए गए है। अब वहां बरसात होने से पानी भर जाने का खतरा पैदा हो गया है, जिससे गड्ढे मौत के कुएं बन गए हैं। जिले के कई भागों में इन गड्ढों में डूबकर बच्चों की मौत तक हो चुकी है ।
Ganga Expressway को जिन खेतों से या नजदीक से मिट्टी उठाई गई है। इस बरसात में पड़ोसियों के खेतों को सबसे बड़ा नुकसान है। बरसात में उनके खेतों की मिट्टी बहकर इन गड्ढों में जाएगी, जिससे जहां खोदाई नहीं हुई है। वहां भी दर्रे बनने का अनुमान है। किसानों को चिंता सताने लगी है कि वह अपने खेत कैसे बचाएं और कैसे फसल करें।