रायबरेली सीट: पहले जैसे नहीं रहे समीकरण, बीजेपी ने बनाई रणनीति, गांधी परिवार को लगा झटका

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अमेठी में कांग्रेस का दुर्ग ढहाने के बाद इस बार भाजपा ने रायबरेली सीट के लिए मजबूत व्यूह रचना की है। गांधी परिवार के लिए प्रदेश में सुरक्षित मानी जाने वाली रायबरेली सीट के समीकरण वर्ष 2019 के चुनाव जैसे कतई नहीं हैं। रायबरेली अब श्रद्धाभाव से निकल रही है। दिनेश और अदिति के बाद मनोज पांडेय के बदले रुख से कांग्रेस चिंतित है। वे सपा में जरूर थे, लेकिन गांधी परिवार के खिलाफ सपा प्रत्याशी नहीं उतारती थी। इसका फायदा कांग्रेस को मिलता था।

असल में मनोज ने ऊंचाहार विधानसभा के साथ ही सदर व अन्य क्षेत्रों में ब्राह्मणों के साथ ही दूसरे वोटरों को कांग्रेस से जोड़ने का काम किया, लेकिन चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का यह मजबूत सहयोगी छिटक गया है। ऐसे में रायबरेली की जनता भी सवाल कर रही है कि इतने वर्षों में कांग्रेस से उन्हें मिला क्या? हां, एनटीपीसी, एम्स, रेल कोच फैक्ट्री, निफ्ट की सौगात तो जरूर मिली। पर, इंदिरा गांधी के समय लगे अधिकतर उद्योग बंद हो गए हैं। आईटीआई की भी हालत दयनीय है। बाईपास का भी समाधान नहीं हो सका।

चुनावी पन्नों को पलटें तो रायबरेली और कांग्रेस का गहरा जुड़ाव दिखता है। कई ऐसे मौके आते हैं जो रोमांचित भी करते हैं, लेकिन 72 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब कांग्रेस अपने ही गढ़ में प्रत्याशी तय नहीं कर पा रही है। इस बार पार्टी ठिठकी है। इसके वाजिब कारण हैं और समीकरण भी। पहले राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कांग्रेस का साथ ही नहीं छोड़ा, बल्कि सोनिया के खिलाफ चुनाव भी लड़ा।

बाद में कांग्रेस के साथ रहीं सदर विधायक अदिति सिंह ने भाजपा के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव जीता। सोनिया गांधी के चुनाव में खुला समर्थन करने वाले पूर्व मंत्री व विधायक डॉ. मनोज कुमार पांडेय का भाजपा से जुड़ना और बढ़ता कद कांग्रेस के लिए इस बार किसी चुनौती से कम नहीं है। ऊंचाहार के साथ ही जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पकड़ रखने वाले मनोज से दूरियां कहीं न कहीं कांग्रेस को परेशान कर रही हैं।

प्रदेश में इकलौती बची रायबरेली सीट को यूं ही कांग्रेस गंवाने वाली नहीं है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर एक दूसरे का मुंह ताक रहे हैं। जिले के कांग्रेसियों में अब भी प्रियंका के मैदान में उतरने की आस नहीं टूटी है। यह तो तय है कि कांग्रेस-सपा गठबंधन और भाजपा प्रत्याशी के बीच रोमांचक मुकाबला होगा।

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