पुष्पा बताती हैं कि उसे पेंटिंग करना अच्छा लगता है. बिहार के सीवान में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. कमी है तो सिर्फ अवसर नहीं मिलने का. जरूरत है उन छुपी प्रतिभाओं को ढूंढकर सबके सामने लाने की. ऐसी ही एक प्रतिभा को खोजकर हम आपके सामने लाएं हैं, जो बिना किसी से सीखे दिव्यांग होते हुए भी सीमित संसाधन में बेहतरीन पेंटिंग बनाती है.
दरअसल, 14 साल की दिव्यांग पुष्पा कुमारी शिवपुर की रहने वाली है. वह काफी गरीब परिवार की है. टूटी-फूटी झोपड़ी में चाय और पकौड़ी बेचकर पिता जैसे-तैसे घर का खर्च चलाते हैं. पुष्पा को मजबूरन आठवीं के बाद पढ़ाई बंद करना पड़ा. पढ़ाई भले ही उसकी छूट गई, लेकिन पिता की दुकान पर बैठते हुए बिना किसी से सीखे तस्वीरें बनाने में वह माहिर हो गई है.
पेंटिंग बना झोपड़ी में लगाई है तस्वीर
पुष्पा बताती हैं कि उसे पेंटिंग करना अच्छा लगता है. उसने बिना किसी से सीखे पेंटिंग बनाने की शुरुआत की. आज वह किसी की भी तस्वीर को देखकर हूबहू उसे कोरे कागज पर उकेर देती है. कई लोगों की तस्वीर बनाकर उसने अपनी झोपड़ी में लगा रखी है. वह बताती है कि बहुत से लोग उसकी बनाई तस्वीर खरीदकर ले जाते हैं. कुछ लोग तो व्हाट्सएप पर फोटो भेजकर तस्वीर बनवाते हैं. एक पेंटिंग बनाने में उसे 50 से 100 रुपए तक का खर्चा आता है.
सपोर्ट नहीं मिलने का है मलाल
पुष्पा बताती हैं कि उसे किसी प्रकार का सपोर्ट नहीं मिल पाता है. इसका उसे मलाल है. वह कहती है कि अगर उसे सपोर्ट मिले तो वह भी बड़े-बड़े पेंटिंग कंपटीशन में शामिल होकर अपनी प्रतिभा से सभी का परिचय करवा सकती है. वह बताती है कि उसे यह भी पता नहीं लग पाता है कि आखिरकार पेंटिंग प्रतियोगिता कहां होती है और इसके लिए आगे क्या करना होता है. वहीं, पुष्पा के पिता बताते हैं कि सपोर्ट और जानकारी मिले तो उनकी बेटी भी अपना नाम रोशन करेगी. फिलहाल पुष्पा भगवान कृष्ण की तस्वीर बना रही है.