महाराजगंज जेल में बंद कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी के कोर्ट में पेशी के दौरान बयानबाजी से साफ है कि दहशत में हैं। उनका परिवार भी खौफजदा है। इरफान की बयानबाजी और उनके परिवार और वकील से बातचीत के बाद 3 बड़ी वजह निकलकर सामने आई हैं। जिसकी वजह से इरफान और उनका परिवार खौफ में है।
दैनिक भास्कर के मुताबिक पढ़ें किन पांच प्रमुख वजहों से विधायक इरफान सोलंकी दहशत में हैं…..

पहली बार पेशी पर विधायक इरफान सोलंकी ने खुलकर बोला
कानपुर के सीसामऊ से सपा विधायक इरफान सोलंकी पर जाजमऊ निवासी महिला नजीर फातिमा का घर फूंकने का आरोप है। MP-MLA कोर्ट को फैसला सुनाना है। बीते एक महीने से कोर्ट पांच बार तारीख दे चुका, लेकिन इरफान की हाजिरी के बाद उन्हें वापस कर दिया गया। किसी न किसी वजह से अब तक मामले में जजमेंट नहीं हो सका। गुरुवार को महाराजगंज जेल से कानपुर की कोर्ट में पेशी के दौरान इरफान के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने कोर्ट जाने के दौरान मीडिया के सवाल पूछने पर सिर्फ एक ही बात पांच बार दोहराई- जानवर, जानवर, जानवर…जानवर, जानवर हूं।
मीडिया का सवाल- जानवर क्यों कहा?
इरफान का जवाब: पुलिस कमिश्नर साहब से पूछना जाकर कि हम न्याय पालिका के सामने पेशी पर आए हैं या फिर पुलिस कमिश्नर की पेशी पर आए हैं। मुझे जज साहब के सामने पेश करने की बजाए पुलिस लाइन क्यों ले गए थे। क्या मेरा एनकाउंटर करना था? कहीं मुझे भी तो अटैक नहीं पड़ने वाला।
मीडिया का सवाल- एनकाउंटर की बात क्यों कह रहें?
इरफान का जवाब: तो फिर हमें पुलिस लाइन क्यों ले गए थे? पुलिस लाइन ले जाने की क्या वजह है? हम तो न्याय पालिका में आए हैं। हम तो पुलिस कस्टडी में नहीं हैं। हमें दो घंटे तक पुलिस लाइन में क्यों रखा।
मीडिया का सवाल- क्या आपको कुछ शक है?
इरफान का जवाब: बिलकुल शक है, हो सकता है मेरी भी खबर आए कि विधायक जी को अटैक पड़ गया है।
- वे 3 वजह जिससे विधायक इरफान सोलंकी दहशत में हैं
1.) तारीख पर तारीख…लेकिन फैसला नहीं
इरफान सोलंकी आगजनी केस में कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी है। बस फैसला आना बाकी है। बीते एक महीने से फैसले को लेकर MP-MLA कोर्ट एडीजे-11 की कोर्ट पांच बार तारीख दे चुकी है, लेकिन फैसला नहीं किया। इस बात को लेकर जेल में बंद सपा विधायक इरफान सोलंकी और उनका परिवार दहशत में हैं।
आखिर क्या वजह है कि बार-बार तारीख देने के बाद भी कोर्ट अपना फैसला नहीं दे रही है। फिलहाल कोर्ट ने मामले में कुछ बिंदुओं पर दोबारा 6 अप्रैल को सुनवाई की तारीख दी है। इस सुनवाई के बाद ही कोर्ट फैसले की तारीख देगी।
कोर्ट की जगह पुलिस लाइन क्यों ले जाया गया
इरफान सोलंकी आगजनी केस में 4 मार्च को कोर्ट में तारीख थी, लेकिन इरफान को कोर्ट ले जाने की बजाए सीधे पुलिस लाइन ले जाया गया। इरफान ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि आखिर उन्हें कोर्ट ने तलब किया है या फिर कमिश्नर साहब ने बुलाया है। जब वह ज्युडिशयल कस्टडी में हैं तो पुलिस लाइन क्यों ले जाया गया।
दो घंटे तक उनकी गाड़ी धूप में खड़ी रखी गई। रोजे से होने के चलते उन्हें गर्मी में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। इस बात को लेकर उन्होंने कोर्ट में भी अपनी शिकायत दर्ज कराई। कोर्ट ने भी उनकी बात को गंभीरता से लेते हुए एसीपी कोतवाली अर्चना सिंह को हिदायत दी।
रोजे से होने के बाद संवेदनहीनता का आरोप
रमजान के चलते जेल में बंद सपा विधायक इरफान सोलंकी रोजे से हैं। कोर्ट में बार-बार तारीख पड़ने की वजह से 400 किमी. आने और फिर 400 किमी. वापसी का लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। इस दौरान उन्हें टॉयलेट तक जाने के लिए पुलिस कर्मी सहयोग नहीं कर रहे। धूप में दो घंटे तक गाड़ी खड़ी कर देना। इन सभी बिंदुओं को परिवार के लोग प्रताड़ना की दृष्टि से देख रहे हैं और इसी वजह से इरफान के साथ ही उनके परिवार के लोग दहशत में हैं।
इरफान के वकील ने क्या कहा
इरफान के वकील करीम अहमद सिद्दीकी ने कहा कि जजमेंट के लिए इरफान का केस लगा था, पिछली कई डेट्स लगीं लेकिन किसी कारणवश जजमेंट नहीं हो पा रहा है। आज हम लोग सुबह करीब 11:30 बजे कोर्ट पहुंचे उसके थोड़ी देर बाद जज साहब कोर्ट में बैठते हैं और ये कहते हैं कि कुछ बिंदुओं पर हमें फिर से सुनवाई करनी है।
इरफान के बारे में पूछा गया तो पता चला कि इरफान अभी अदालत नहीं आए हैं। बाद में इरफान को करीब 1 बजे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट आते हैं तो इरफान जज साहब से शिकायत करते हैं कि मुझे कोर्ट बजाए पुलिस लाइन ले जाया गया। वहां दो घंटे तक धूप में खड़ा रखा गया। जबकि वह रोजे से हैं। वहां से जब अदालत लाए तो उन्होंने टॉयलेट जाने को कहा, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने सहयोग नहीं किया।
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इस बात की शिकायत एमपी/एमएलए कोर्ट के जज साहब एडीजे-11 से की है। उसपर कोर्ट का ये कहना था कि पुलिस अधिकारियों को अंडर ट्रायल के कैदी को वो सभी मानवाधिकार हैं, जो संविधान में सभी के लिए जरूरी हैं। पुलिस लाइन क्यों ले गए…?कोर्ट डायरेक्ट क्यों नहीं लाए…?
ये तो जो अधिकारी इरफान को लेकर आए थे वहीं लोग बता सकते हैं। कोर्ट एसीपी कोतवाली के दायरे में हैं। एसीपी कोतवाली के ऊपर ज्यादा रुख था। उन्होंने कहा कि एक बंदी को जो बुनियादी जरूरतें होती हैं उसे पूरी किया जाए।


