डलमऊ के राजा डलदेव के सम्मान में जगतपुर ब्लॉक क्षेत्र के चार गांवों में होली के आठवें दिन गुलाल उड़ेगा। यहां के लोग होली से आठ दिन तक शोक मनाते हैं। इन गांवों में तीन अप्रैल को होली खेली जाएगी।
रंगों के त्योहार होली पर जहां हर तरफ खुशी और उत्साह दिखता है, वहीं डलमऊ के 28 गांवों के लोग इससे दूर अपने राजा की याद में खोए रहते हैं। हालांकि घटना करीब 700 साल पुरानी है, लेकिन होली के आते ही लोगों के जेहन में उनकी यादें ताजा हो जाती हैं।
डलमऊ के राजा डलदेव ने दुश्मनों से प्रजा की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी थी। उनकी याद में ही लोग यहां पांच दिन तक शोक मनाते हैं। इसके बाद होली खेलते हैं।प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष डाॅ. संजय सिंह ने बताया कि पूर्वजों की माने तो करीब 700 साल पहले होली के दिन डलमऊ के राजा डलदेव पर जौनपुर के मुगल शासक शाहशर्की ने हमला कर दिया।
मुगल शासक का सामना करने के लिए राजा डलदेव ने भी 200 सैनिकों के साथ युद्ध किया। इसमें राजा डलदेव मारे गए। राजा की सुरक्षा में लगे इन्हीं चार गांव के कई लोग भी वीरगति को प्राप्त हुए।
क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि वर्ष 1321 ई. में डलमऊ के राजा डलदेव नए संवत्सर के आगमन का जश्न मना रहे थे। पूरे क्षेत्र में हंसी-खुशी का माहौल था। डलमऊ के किले में सैनिकों के साथ प्रजा भी मौजूद थी। हर किसी के चेहरे पर खुशी और उत्साह था। सभी जश्न में डूबे थे। राजा डलदेव भी सभी के संग खुशी मना रहे थे।
तभी जौनपुर के शाहशर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण कर दिया। जिस वक्त किले पर हमला बोला गया, उस समय राजा और उनकी सेना युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। किसी को इसका अंदाजा भी नहीं था। बावजूद इसके राजा ने हार नहीं मानी।
इसी शोक में पूरे रेवती, खपराताल, पूरे ज्वाला, पूरे भागू, नाथ खेड़ा, पूरे नाथू, पूरे गड़रियन, नेवाजगंज, पूरे वल्ली, मलियापुर, पूरे मुराइन, भटानीहार, महुवाहार, पूरे धैताली, पूरे धानू, बिबियापुर, मखदूमपुर, देवली, नगरूमऊ, पूरे कोइली, सुर्जीपुर, पूरे डालबाल, पूरे सेखन, पूरे जोधी, तेलहना, पूरे लालता, मुर्सीदाबाद गांव के लोग होली त्योहार पर शोक मनाते हैं। आठवें दिन यहां पर होली खेली जाती है।