सलोन क्षेत्र के सिरसिरा में 375 करोड़ रुपये की लागत से 400 एमवीए ट्रांसमिशन का काम होना है। चेन्नई की बीजीआर कंपनी ने 2019 में काम शुरू कराया। इस कार्य को 2021 में पूरा होना था। अधिक समय बीत गया। इससे बीजीआर को डिबार घोषित करते हुए कार्य दूसरी एजेंसियों से कराने के लिए पारेषण के अभियंताओं को निर्देश दिए गए।
करीब 11 करोड़ रुपये लागत से नियंत्रण कक्ष, सड़क, इंटरलॉकिंग, पेयजल, नाला निर्माण समेत अन्य कार्य कराने की प्रक्रिया फरवरी महीने में शुरू की गई, लेकिन अब तक काम में तेजी नहीं आई। इससे साफ जाहिर है कि समय रहते काम पूरा नहीं हो पाएगा।
जिले के अलावा पड़ोसी जनपद अमेठी, प्रतापगढ़ को भरपूर बिजली देने के लिए सलोन क्षेत्र के सिरसिरा में 400 केवीए ट्रांसमिशन का निर्माण अधर में लटका है। जो एजेंसी इसका निर्माण करा रही थी। उससे जनवरी महीने में काम छीन लिया गया है। विभागीय स्तर पर अब कार्य होना है।
ट्रांसमिशन के अभियंताओं ने शेष काम कराने के लिए 17 फरवरी को टेंडर निकाला। इसमें साफ कहा गया कि सभी कार्य 75 दिन में पूरे किए जाने हैं। इसमें 51 दिन बीत गए हैं, लेकिन अब तक काम में तेजी नहीं आई है। इससे साफ जाहिर है कि समय रहते काम पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में उपभोक्ताओं को गर्मी में बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है।
अधीक्षण अभियंता पारेषण खंड लखनऊ नरेंद्र पांडेय ने बताया कि ट्रांसमिशन में शेष कार्य पूरा कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी करके काम शुरू करा दिया गया है। समय से काम पूरा कराने के लिए एजेंसियों को निर्देशित किया गया है।
कमीशनबाजी का खेलपावर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों ने बताया कि चहेती फर्मों को काम देने के लिए टेंडर निकालने में मनमानी शर्तें रखीं गईं। जिस हिसाब से समय और शर्तें रखी गईं। उस हिसाब से लगता है कि कमीशनबाजी के चलते चहेती फर्मों को काम दिया गया है।
इस बार भी बिजली संकट से जूझेंगे लोग
जिले के पांच लाख उपभोक्ताओं को इस बार भी बिजली संकट से जूझना पड़ेगा। सबसे ज्यादा बिजली की किल्लत धान की रोपाई के समय होती है। उस समय लोड इतना बढ़ जाता है कि उपकेंद्रों में लगे उपकरण ओवरलोड हो जाते हैं। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी होती है। इन सब समस्याओं को देखते हुए जिले के सबसे बड़े ट्रांसमिशन का निर्माण कराया गया, लेकिन इसमें भी ग्रहण लग गया है। दो साल पहले पूरा होने वाले इस ट्रांसमिशन के निर्माण में मनमानी की जा रही है।