रायबरेली जेल में गुरुवार को एक विचाराधीन बंदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बंदी का नाम वारिस राइन (28) है, जो पत्नी की हत्या के आरोप में वर्ष 2019 से जेल में बंद था। जेल प्रशासन के मुताबिक, वारिस ने आत्महत्या से पहले अपने पिता से फोन पर बात की थी।
घटना के बाद जेल प्रशासन ने लापरवाही के आरोप में सिपाही अनुज राजवंशी को निलंबित कर दिया, जबकि गिर्दा प्रभारी कमलेश कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। जेल प्रशासन के मुताबिक, वारिस ने 28 नवंबर को शाम 4:30 बजे जेल के पीसीओ से अपने पिता से 6 मिनट तक बात की।
इस बातचीत में वारिस ने कहा, “अब सजा काटे बिना मैं नहीं छूटूंगा। वकील पर पैसे खर्च करने का कोई फायदा नहीं है।” यह बातचीत उसके टूटे हुए मनोबल का संकेत दे रही थी। पिता से बात करने के एक घंटे के अंदर, वारिस ने जेल परिसर में बाग की तरफ लगे एक पेड़ पर गमछे से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।
बंदी जमानत खारिज होने से था निराश
वारिस पर पत्नी की हत्या का आरोप था। 2019 में धारा 498ए, 307, 304बी, 302 और 3/4 डीपी एक्ट के तहत अमेठी के मोहनगंज थाने में मामला दर्ज हुआ था।
- 28 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट में पहली बार जमानत याचिका दी गई।
- 6 जुलाई 2021 को याचिका खारिज हो गई।
- 17 अक्टूबर 2022 को दोबारा जमानत मांगी, जो 30 जनवरी 2024 को खारिज हो गई।
बार-बार जमानत खारिज होने से वारिस मानसिक रूप से परेशान था।

जेल प्रशासन ने दी सफाई
जेल प्रशासन का कहना है कि वारिस का व्यवहार शालीन था और कभी यह संकेत नहीं मिला कि वह मानसिक रूप से इतनी बड़ी परेशानी में है। घटना की पूरी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई है। पिता-पुत्र के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा गया है। जेल अधीक्षक ने इसे स्पष्ट रूप से आत्महत्या का मामला बताया है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
इस घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और बंदियों की मानसिक स्थिति की निगरानी को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक के परिवार और समाज के बीच इस घटना को लेकर गहरी नाराजगी है।