रायबरेली जिले के सरकारी अस्पताल के समस्त डॉक्टरों ने मंगलवार को डीएम और एसपी कार्यालय तक पैदल मार्च करते हुए अपनी आवाज उठाई। डॉक्टरों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने अस्पताल में कार्यरत ईएनटी सर्जन डॉ. शिवकुमार के खिलाफ शांति भंग की नोटिस भेजी है.
दैनिक भास्कर के मुताबिक मार्च में शामिल डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि संतोष पांडे जेल से बाहर आने के बाद डॉ. शिवकुमार को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। डॉ. शिवकुमार ने शिकायत की है कि भाजपा नेता के समर्थक उन्हें तरह-तरह के हथकंडों से दबाव में डाल रहे हैं और उनके खिलाफ झूठी शिकायतें की जा रही हैं। खासकर, डॉ. शिवकुमार को शांति भंग करने की झूठी रिपोर्ट भेजी गई है। इसके बाद नगर मजिस्ट्रेट ने 14 नवंबर को उन्हें कोर्ट में उपस्थित होने के लिए बुलाया है।
डॉक्टरों ने लगाया संतोष पांडे पर आरोप
डॉ. शिवकुमार ने बताया कि उन्होंने संतोष पांडे के खिलाफ रंगदारी वसूलने के आरोप में 2021 में मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद वह जेल गए थे। जेल से बाहर आने के बाद भाजपा नेता ने जिला चिकित्सालय में झूठी शिकायतें करना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सदर कोतवाली के कुछ पुलिसकर्मी संतोष पांडे का समर्थन कर रहे हैं और उन्हें संरक्षण दे रहे हैं।
पीएमएस संगठन की कार्रवाई की चेतावनी
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और बताया कि इस तरह की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से अनुमति के बिना प्रेषित की गई है, जो गलत है। संघ ने आरोप लगाया कि संतोष पांडे सरकारी कर्मचारियों, खासकर चिकित्सकों, के खिलाफ लगातार दबाव बनाने और धन वसूली करने का काम कर रहे हैं।
डॉक्टरों का आक्रोश
पीएमएस संघ ने चेतावनी दी कि यदि इस मामले की सही जांच नहीं की जाती और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तो जिले के डॉक्टर चिकित्सकीय कार्य का बहिष्कार कर सकते हैं, जिससे मरीजों को इलाज में कठिनाई हो सकती है। संघ ने कहा कि ऐसे दबाव और अन्यायपूर्ण कार्रवाई से चिकित्सकों में आक्रोश बढ़ गया है और इसे तत्काल न सुलझाया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
यह मामला अब जिला प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है, क्योंकि यह सिर्फ डॉक्टरों का आक्रोश नहीं, बल्कि आम जनता की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर डाल सकता है।