जन्म प्रमाणपत्र के फर्जीवाड़े की जांच में सोमवार को एक और अहम जानकारी मिली। जीशान ने बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को नागरिकता दिलाने के लिए सलोन में कई फर्जी परिवार बसा दिए। देश की स्वतंत्रता से पहले वर्ष 1940 का 83 साल बाद फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाया। परिवार में फर्जी बेटे और नातियों तक के प्रमाणपत्र जारी किए जाने के साक्ष्य मिले हैं। एक नहीं 10 से अधिक ऐसे फर्जी परिवार बसाने की कोशिश करके देश की सुरक्षा से खिलवाड़ का प्रयास किया। यूपी एटीएस की जांच में जल्द ही और खुलासे होने की उम्मीद है।
सलोन ब्लॉक के नूरुद्दीनपुर, गढ़ी इस्लाम नगर, लहुरेपुर, सिरसिरा, गोपालपुर गांवों में अब तक जांच में 19 हजार से अधिक फर्जी प्रमाणपत्र पकड़ में आए हैं। एक-एक दिन में 500 से लेकर 1000 तक फर्जी प्रमाणपत्र बना डाले। आरोपी मो. जीशान, वीडीओ विजय यादव समेत चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद टीम ने गांवों में पहुंचकर एक-एक प्रमाणपत्रों की जांच की तो कई सनसनीखेज साक्ष्य सामने आए।
सूत्रों के अनुसार इन गांवों में जन्म प्रमाणपत्र के सहारे फर्जी परिवार बसाने का प्रयास किया गया। इससे तय है कि घुसपैठियों को देश में बसा कर बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया। पिछले साल 2023 में 60 से 83 साल की उम्र तक के लोगों के ऐसे प्रमाणपत्र जारी किए गए, जिनके गांवों में होने के साक्ष्य जांच में नहीं मिले। पांचों गांवों में बने फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच रिपोर्ट लगभग तैयार हो गई है। यह रिपोर्ट जल्द ही यूपी एटीएस को सौंपी जा सकती है, जिससे फर्जीवाड़े की साजिश से जुड़े कई और अहम जानकारी सामने आ सकता है।
जीशान के कई जन सेवा केन्द्रों से जुड़े हैं तार
फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद जांच करने के लिए सलोन आई यूपी एटीएस के अधिकारियों ने आरोपी जीशान से लंबी पूछताछ की थी। सूत्र बताते हैं कि जीशान ने कई जन सुविधा केंद्रों से फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए थे। इसमें कई सेंटर दूसरे प्रदेशों के भी बताए जा रहे हैं, लेकिन एक दिन में एक आईडी-पासवर्ड से 1000 प्रमाणपत्र जारी किया जाना संभव नहीं है। दिनभर काम करने के बाद भी एक कंप्यूटर से सौ प्रमाणपत्र भी नहीं बनाए जा सकते।