अगर आप प्रभु राम की नगरी अयोध्या आ रहे हैं और यहां पर राम मंदिर में दर्शन पूजन करना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. राम मंदिर ट्रस्ट ने प्रभु राम के दर्शन अवधि में एक बड़ा बदलाव किया है. अभी तक जहां प्रभु राम 24 घंटे में लगभग 17 घंटे राम भक्तों को दर्शन देते थे तो वहीं अब यह समय अवधि घटा दिया गया है. पहले सुबह 5:00 से रात्रि 11:00 तक प्रभु राम का दर्शन राम भक्त आसानी से करते थे लेकिन अब सुबह 6:00 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक भक्त के लिए मंदिर का दरबार खुला रहेगा.
प्रयागराज में करोड़ों की संख्या में पहुंचे राम भक्त लाखों की संख्या में अयोध्या पहुंच रहे हैं, जिसको देखते हुए पिछले 15 दिन पहले से राम मंदिर ट्रस्ट ने प्रभु राम के दर्शन अवधि को बढ़ा दिया गया था. इसके बाद श्रद्धालुओं की जैसे-जैसे संख्या कम होने लगी.
प्रभु राम के दर्शन करने का नया समय
वैसे-वैसे अब राम मंदिर ट्रस्ट आज से दर्शन अवधि में बदलाव किया है. अगर आप भी परिवार के साथ अयोध्या आ रहे हैं, तो आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि प्रभु राम का दरबार सुबह 6:00 से लेकर रात्रि 9:30 बजे तक खुला रहेगा. राम भक्त इस समय अवधि में आसानी से प्रभु राम का दर्शन पूजन कर सकेंगे.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर में प्रयागराज कुंभ से आने वाले भीड़ को देखते हुए दर्शन अवधि को बढ़ा दिया गया था, लेकिन आज यानी 6 फरवरी से दर्शन में बदलाव किया गया है. अब सुबह 5:30 बजे प्रभु की आरती, 6:00 बजे श्रृंगार आरती होगी. वहीं, श्रृंगार आरती के बाद भक्तों के लिए प्रभु राम का दरबार खोल दिया जाएगा. फिर 9:00 तक राम भक्त दर्शन पूजन करेंगे. 9:30 बजे प्रभु राम की आरती होगी.
इसके बाद मंदिर का दरबार बंद कर दिया जाएगा. अयोध्या आने वाले राम भक्तों को दर्शन करने के दौरान किसी प्रकार को ही दिक्कत ना हो इसको लेकर भी राम मंदिर ट्रस्ट लगातार प्रयास कर रहा है.

अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास
अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित श्रीराम जन्मभूमि, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, और यह स्थान धार्मिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है, जिसमें कई संघर्ष, पुनर्निर्माण और न्यायिक प्रक्रियाएँ शामिल रही हैं।
प्राचीन इतिहास
अयोध्या को हिंदू धर्म में सप्तपुरियों (सात पवित्र नगरों) में से एक माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने राम अवतार धारण कर अयोध्या में जन्म लिया। कहा जाता है कि उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ था, जो समय के साथ ध्वस्त हो गया।
मध्यकालीन इतिहास
1528: बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण कराया, जिसे बाबरी मस्जिद कहा गया। कुछ ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्रोतों के अनुसार, यह मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।
16वीं-19वीं शताब्दी: इस स्थल पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद जारी रहा। हिंदू पक्ष का दावा था कि यह भगवान राम का जन्मस्थान है और यहाँ मंदिर था।
आधुनिक काल और संघर्ष
1853: पहली बार हिंदू-मुस्लिम संघर्ष की घटनाएँ दर्ज की गईं।
1859: ब्रिटिश प्रशासन ने विवादित स्थल पर बाड़ लगाकर हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग पूजा क्षेत्रों का निर्धारण किया।
1949: विवादित स्थल के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्तियाँ प्रकट हुईं, जिससे विवाद और बढ़ गया। सरकार ने इसे विवादित स्थल घोषित कर दिया।
न्यायिक प्रक्रिया और राम मंदिर आंदोलन
1950: रामलला की पूजा-अर्चना की अनुमति हेतु कोर्ट में याचिका दाखिल हुई।
1984: विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक आंदोलन शुरू किया।
1990: लालकृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकाली, जिससे हिंदू समाज में मंदिर निर्माण की माँग तेज़ हो गई।
6 दिसंबर 1992: कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया, जिसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए।
2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बाँटने का निर्णय दिया।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अलग भूमि देने का आदेश दिया।

राम मंदिर निर्माण और वर्तमान स्थिति
5 अगस्त 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में भाग लिया।
22 जनवरी 2024: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई, और भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ।
राम मंदिर अब केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और गौरव का प्रतीक बन चुका है।