धर्म नगरी वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य फिर एक बार विवादों में घिर गए हैं. अनिरुद्धाचार्य पर मातृ शक्ति को लेकर विवादित टिप्पणी करने का आरोप है. इससे मातृ शक्ति में आक्रोश व्याप्त हो गया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास की जिला अध्यक्ष गुंजन शर्मा ने अनिरुद्धाचार्य को तत्काल माफी मांगने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि जिस व्यास पीठ पर बैठकर समाज को सही दिशा देने की जिम्मेदारी इन धर्माचार्यों पर है, वही मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं, यह चिंता का विषय है.
गुंजन शर्मा ने लोगों से भी इसे अमर्यादित भाषा और व्यवहार करने वाले धर्माचार्यों का बहिष्कार करने की मांग की. चेतावनी दी अगर अनिरुद्धाचार्य ने माफी नहीं मांगी तो ब्रज में उनकी कथाओं का बहिष्कार किया जाएग.
उन्होंने कहा, ‘कुछ दिन एक विधर्मी ने मुझसे एक सवाल किया कि गाय को आप माता कहते हैं तो क्या भैंस को बुआ कहेंगे. बकरी को चाची कहेंगे. इस तरह से विधर्मी से बहुत ही टेड़ा सवाल मुझसे किया. मैंने उसे समझाया कि दूध तो हमारी परिवार में चाची-दादी, नानी….सबने अपने-अपने बच्चों को दूध पिलाया है. पर जब चुनौती दी जाएगी तो क्या बोला जाएगा? तुमने अपनी मां का दूध पिया है तो आओ. तो हम अपनी मां का नाम लेकर जवाब देते हैं. तो मां को मां कहा जाएगा, सबको मां नहीं कहा जाएगा.
उसी तरह गाय को ही मां कहा जाएगा, बकरी को नहीं. गाय के इस पक्ष को पुष्ट करते हुए, समझाने में शब्दों की त्रुटि हुई. लोगों ने कहा कि गलती हुई. मैंने स्वीकारा. गाय को माता क्यों कहते हैं क्योंकि वह सबका पालन बच्चे की तरह करती है. उस संदर्भ में मैंने यह बात कही.’
सोशल मीडिया पर अनिरुद्धाचार्य की दो विवादित रील वायरल हो रही है. एक रील में वह कहते नजर आ रहे हैं, ‘आप लोग गाय को माता तो भैंस को बुआ कह सकते हो आप. उसने कहा कि गाय दूध भी देती है, दूध भैंस भी देती है. हमने उससे कह – ‘बेटा! ये बताओ, दूध तो तुम्हारी बहन भी देती है फिर मां का क्यों पिया.‘
विवाद को बढ़ते देख अनिरुद्धाचार्य ने मांगी माफी
विवाद को बढ़ते देख धर्माचार्य अनिरुद्धाचार्य सामने आए और उन्होंने माफी की एक वीडियो जारी की. सफाई दी कि एक विधर्मी ने उनसे बेतुका सवाल किया था जिसके परिपेक्ष्य में जवाब देते समय कुछ अमर्यादित शब्द निकल गए थे, जिसके लिए वह माफी मांग रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘माना कि समझाने में शब्दों की त्रुटि हुई होगी, चूंकि यह बात बहुत पुरानी है, अब लोगों के सामने आई है. यदि मेरे कहने से, शब्दों की त्रुटि होने से, किसी को दुख पहुंचा, मैंने तो गाय का पक्ष रखा. किसी भी प्रकार से, यही साबित किया कि गाय हमारी माता है. यदि गाय का पक्ष रखने में कोई त्रुटि हुई हो तो आप कृपालु हैं, तो मुझे क्षमा करें. मैं तो आप सबके पांव की धूल हूं, आप मुझे अवश्य क्षमा करेंगे.’

ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर इन बड़े बड़े धर्माचार्यों जिन पर धर्म ध्वजा के सम्मान का जिम्मा है, अगर वही अमर्यादित शब्दों का व्यास पीठ से इस्तेमाल करेंगे तो फिर धर्म और समाज किस ओर जाएगा.
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यह पहला मामला नहीं है जब व्यास गद्दी से किसी धर्माचार्य के अमर्यादित्य बोल निकले हों. इससे पहले भी कथावाचक प्रदीप मिश्रा, मुरारी बापू और महामंडलेश्वर इंद्रदेव महाराज के विवादित व अमर्यादित बोल सामने आए थे. प्रदीप मिश्रा ने राधा रानी के सामने नाक रगड़कर माफी मांगी थी. महामंडलेश्वर इंद्रदेव को वृंदावन परिक्रमा मार्ग में झाड़ू लगाकर अपनी गलती का प्रायश्चित करना पड़ा था. वही मुरारी बापू को भी मथुरा आकर संतो के बीच माफी मांगनी पड़ी थी.