झांसी में एक बेटी के जन्म ने अंधविश्वास को बढ़ावा देने का काम शुरु कर दिया. गुरसराय के ग्राम मड़ोरी में एक बच्ची ने जन्म लिया. जन्म के समय बच्ची का चेहरा कुछ अलग प्रकार का था. नवजात का यही चेहरा उसके लिए काल साबित हुआ.
अलग चहरे के कारण ग्रामीणों ने नवजात को देवी का रूप मान लिया. चूंकि बच्ची का जन्म नवरात्रि से ठीक पहले हुआ था इसलिए ये अंधविश्वास तेजी के साथ पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बन गया.
हर तरफ यह बात कही जाती है कि बेटियों के जन्म को उत्सव की तरह मनाना चाहिए. ग्राम मडो़री के ओमप्रकाश उर्फ कल्लन कोरी की पत्नी पूजा ने 5 अप्रैल गुरुवार को गुरसराय अस्पताल में अपनी दूसरी संतान के रूप में इस पुत्री को जन्म दिया था.
माता पिता जब बच्ची को लेकर घर पहुंचे तो लोगों ने उसकी आकृति को देखकर आस्था और अंधविश्वास से जोड़ दिया. नवरात्रि का पर्व नजदीक होने के चलते महिला, पुरूष, बच्चे, बूढ़े सभी की भीड़ वहां उमड़ पड़ी. महिलाओं ने भजन आदि गाना शुरु कर दिया. देखते ही देखते वहां माहौल उत्सव की तरह हो गया. लोग छोटी बच्ची पर पैसे भी चढ़ाने लगे.
हालांकि डॉक्टरों ने नवजात को घर के अंदर रखने की बात कही थी. लेकिन, बच्ची दिन भर धूप में रखी गई. इससे बच्ची की तबीयत बिगड़ती गई. कुछ देर बाद ही बच्ची का देहांत हो गया. इसके बाद भी लोग नहीं रुके. बच्ची को ढोल नगाड़े के साथ आरती करने के बाद बेतवा नदी के किनारे ढिकौली घाट के पास प्रवाहित कर दिया.